Ali Zafar - Aurat
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Ali Zafar - Aurat - оригинальный текст песни, перевод, видео
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खिलती हुई सुबा का, कोमल सा रूप हो तुम
कभी मधाम मधाम चाँदनी, कभी तीखी धूप हो तुम
तुम नहीं मेरे साथ, तो मेरी हएसियत क्या है
बतलाओ तुम्हारे इश्क़ की, ये काफियत क्या है?
आए औरत, तुम बे मिस्ल हो तुम्हें पोंचे मेरा सलाम
मेरी रूह तुम्हारी सुल्तानत, मेरा दिल है तेरा गुलाम
कभी मधाम मधाम चाँदनी, कभी तीखी धूप हो तुम
तुम नहीं मेरे साथ, तो मेरी हएसियत क्या है
बतलाओ तुम्हारे इश्क़ की, ये काफियत क्या है?
आए औरत, तुम बे मिस्ल हो तुम्हें पोंचे मेरा सलाम
मेरी रूह तुम्हारी सुल्तानत, मेरा दिल है तेरा गुलाम
Цветение Суба, ты мягкая форма
Иногда Мэдхэм Мэдхэм Чандни, иногда ты солнечный
Ты не со мной, так что мое сердце
Расскажи мне о своей любви, что это за факт?
Приходите женщина, ты не
Мой дух - твой султанат, мое сердце - твой раб
Иногда Мэдхэм Мэдхэм Чандни, иногда ты солнечный
Ты не со мной, так что мое сердце
Расскажи мне о своей любви, что это за факт?
Приходите женщина, ты не
Мой дух - твой султанат, мое сердце - твой раб
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